Sunami Media News

भारत को धर्म-आधारित राष्ट्र के रूप में स्थापित होना होगा : मोहन भागवत

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत को एक धर्म-आधारित राष्ट्र के रूप में उभरना और स्थापित होना होगा. बेंगलुरु में शनिवार को आरएसएस की शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित एक व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया भर के राष्ट्र अपने-अपने 'स्वधर्म' की परिभाषा स्वयं निर्धारित करते हैं.

मोहन भागवत ने कहा, 'वे अपने लोगों के लिए समृद्धि लाने और मानवता की भलाई में योगदान देने का प्रयास करते हैं. यह होना ही है. इसका संघ के 100 वर्षों से क्या संबंध है? हिंदू समाज निर्माण की दिशा में पहला कदम जागरूकता पैदा करना है. यह अभी भी अधूरा है. हमें अपनी पहुँच बढ़ानी होगी. इसलिए इस शताब्दी वर्ष में हमारी पहली चिंता अपने कार्य को हर गाँव और समाज के हर वर्ग तक पहुँचाना है.'



उन्होंने दूसरे सत्र में अपना व्याख्यान देते हुए कहा. 'हम हिंदू समाज को एक समरूप इकाई के रूप में देखते हैं. हमें विविधता के हर वर्ग तक पहुंचना है और हिंदू समाज को संगठित करना है. सभी 142 करोड़ लोगों को, जिसमें कई धार्मिक संप्रदाय हैं, जिनमें से कुछ इतिहास के दौरान बाहर से आए हैं.'

    उन्होंने कहा, 'हमने उन लोगों के साथ बातचीत शुरू की है जो खुद को हिंदू नहीं मानते हैं. कुछ लोग कहते हैं कि वे हिंदू नहीं, बल्कि हिंदवी हैं. दूसरे कहते हैं कि वे इंडिक लोग हैं. हम जानते हैं कि ये सभी समानार्थी शब्द हैं.' उन्होंने कहा, 'हिंदू' शब्द का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि यह सार को दर्शाता है. 'हिंदू' किसी भी रूप में सीमित नहीं है.'


    उन्होंने कहा, 'हमारे देश में बुरे की तुलना में कम से कम चालीस गुना ज्यादा अच्छा हो रहा है. इसलिए, यह अच्छे का समय है बुरे का समय बीत चुका है.' उन्होंने कहा, 'हमारे सपनों के भारत को साकार करना होगा - लेकिन इसके लिए पहले सही सोच होनी चाहि. हम देशव्यापी विचार-विमर्श और चर्चाएँ शुरू करना चाहते हैं.

    व्यक्तिगत स्तर से लेकर नीति-निर्माण तक, यह सोच और दीर्घकालिक योजना मौजूद होनी चाहिए.' उन्होंने जोर देकर कहा, 'हम सभी एक ही औपनिवेशिक मानसिकता में पले-बढ़े हैं. एक समाज के रूप में हमें इसे दूर करने के लिए सामूहिक रूप से काम करना होगा. समाज को सद्भावना, सद्भाव और सकारात्मकता के साथ कार्य करना चाहिए. बहुत अधिक नकारात्मक बातें हो रही हैं.'


    मोहन भागवत ने कहा कि भारत का एक मिशन है, वह है दुनिया को धर्म देना.

    आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'भारत का एक मिशन है वह है दुनिया को धर्म देना. हमें एक धर्म-प्राण देश कहा जाता है. धर्म का गलत अनुवाद धर्म के रूप में किया गया है. धर्म अलग है. इसमें क्या करना है और क्या नहीं करना है, सत्य या ईश्वर तक पहुँचने के तरीके. सत्य विशाल और भव्य है और स्वाभाविक रूप से उस तक पहुँचने के अनेक मार्ग हैं. धर्म वस्तुओं का स्वभाव है. हमारा कर्तव्य है. इसे मध्यम मार्ग भी कहा गया है. धर्म में अतिवाद की अनुमति नहीं है. धर्म में सभी अतियों से बचा जाता है. धर्म का अनुवाद अनुशासन के रूप में भी किया जाता है. दूसरों को परेशान किए बिना जीवन जीना. एक भारतीय के रूप में मैं कहता हूं कि अगर हमारे देश को समृद्ध होना है, तो हमें धर्म की आवश्यकता है.

    संघ को चलाने के लिए बाहरी स्रोतों से एक पैसा भी नहीं लिया जाता: आरएसएस प्रमुख

    आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'हमने कभी भी बाहर से कोई धन नहीं लिया है. हमारे स्वयंसेवक हर साल योगदान करते हैं और वे अधिक देने का प्रयास करते हैं. यहां तक ​​कि जो स्वयंसेवक गरीब हैं वे भी योगदान देना सुनिश्चित करते हैं. उनमें से कुछ एक साल तक दाल जैसी कुछ वस्तुओं का उपयोग बंद कर देते हैं. पैसे बचाते हैं और उसे संघ को समर्पित कर देते हैं.' उन्होंने कहा, 'संघ को चलाने के लिए बाहर से एक पैसा भी नहीं लिया जाता है. इससे हमें स्वतंत्र रहने में मदद मिलती है ताकि कोई हम पर दबाव न डाल सके. हम केवल सच बोलते हैं और हम अपनी बात खुलकर व्यक्त करते हैं.'


    उन्होंने आगे कहा, 'एक और आलोचना जिसका हमने सामना किया है, वह यह है कि संघ को एक खतरा या जहरीला कहा जाता है. लेकिन यह विरोध केवल होठों से आता है, दिल से नहीं. दिल हमारे साथ हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'हमारा लक्ष्य पूरे समाज को संगठित करना है. हम यहाँ कमियाँ निकालने नहीं आए हैं. पूरे हिंदू समाज को संगठित करने का विचार अक्सर लोगों के लिए समझना मुश्किल होता है.

    'हिंदू समाज अपने चरम पर है, दुनिया को एकजुट करना चाहता है': मोहन भागवत

    आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'हिंदू समाज अपने गौरव के शिखर पर है. हम हमेशा से दुनिया को एकजुट करना चाहते हैं.' भागवत ने बताया कि सभी मुसलमान और ईसाई भी एक ही पूर्वजों के वंशज हैं. उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि उन्हें यह पता न हो, या उन्हें यह भुला दिया गया हो, लेकिन बाकी सभी जानते हैं कि वे हिंदू हैं. भागवत ने कहा, 'हम हिंदू हैं, क्योंकि 'हिंदू' एक समावेशी शब्द है. जो लोग भारत में रहते हैं, जो सभी विविधताओं के बारे में सोचते हैं.


    उनका सम्मान करते हैं और उन्हें स्वीकार करते हैं - उन्हें हिंदू कहा जाता है.' उन्होंने आगे कहा कि एकता की यह स्थिति इसलिए प्राप्त हुई क्योंकि हमारे पूर्वजों ने संपूर्ण सृष्टि और मानवता के बीच एक संबंध पाया. उन्होंने कहा, 'यद्यपि हम अलग और भिन्न प्रतीत होते हैं, फिर भी हम एक ही एकता का प्रतिनिधित्व करते हैं. प्रत्येक व्यक्ति का सर्वोच्च लक्ष्य उस एकता को साकार करना और सुख प्राप्त करना है, क्योंकि वह सुख शाश्वत है. यही प्रत्येक भारतीय धर्म सिखाता है.'





    Mukesh tiwari

    स्वामी, प्रकाशक एवं संपादक- मुकेश तिवारी पता- हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी रामगोपाल तिवारी नगर ,बिलासपुर, छ ग मोबाइल- 9174310780 ईमेल- sunaminewsmp36@gmail.com समाचार पोर्टल Sunami Chhattisgarh.com में प्रकाशित खबरों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है . समाचार की विषय वस्तु संवाददाता के विवेक पर निर्भर है. यह एक हिंदी न्यूज़ पोर्टल है जिसमें बिलासपुर और छत्तीसगढ़ के साथ देश और दुनिया की खबरें प्रकाशित की जाती है।पोर्टल में प्रकाशित किसी भी खबर में कानूनी विवाद की स्थिति में संबंधित रिपोर्टर ही पूर्णतः उत्तरदायी है।

    एक टिप्पणी भेजें

    Hi

    और नया पुराने