कैंसर के चौथे स्टेज पर था बुजुर्ग, सिम्स के चिकित्सकों ने दिया नया जीवन
बिलासपुर, 6 अक्टूबर 2025।
कैंसर का नाम ही लोगों को डराने के लिए काफी है। शुरूआती अवस्था में कोई दर्द या तकलीफ न होने के कारण बिलासपुर के कई मरीज इसे नजरअंदाज कर देते हैं। जब तक दर्द या तकलीफ महसूस होती है, तब तक कैंसर अक्सर काफी बढ़ चुका होता है और जानलेवा रूप ले लेता है।
ऐसे ही हालात से गुजर रहे बिलासपुर निवासी लक्ष्मण (61 वर्ष), जो मुंह के कैंसर से पीड़ित थे, इलाज के लिए सिम्स के दंत चिकित्सा विभाग पहुंचे। तंबाकू के लंबे समय तक सेवन के कारण उन्हें मुंह का कैंसर हो गया था। उम्र अधिक होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के बावजूद सिम्स के दंत चिकित्सकों ने जटिल सर्जरी कर उनकी जान बचाने में सफलता पाई।
मरीज का कैंसर गले तक फैल चुका था। लिंफ नोड में 7x6 सेमी की सूजन पाई गई और जांच में यह कैंसर की अंतिम अवस्था में होने की पुष्टि हुई। विभाग के चिकित्सकों ने सर्जरी का निर्णय लिया और सभी आवश्यक जांचों — खून, एक्स-रे तथा सिटी स्कैन — के बाद 7 से 8 घंटे की जटिल सर्जरी की।
सर्जरी तीन चरणों में की गई —
1. संक्रमित जबड़े के हिस्से को निकाला गया,
2. गर्दन में फैले कैंसर को हटाया गया,
3. और अंत में खाली हिस्से में छाती से मांस का टुकड़ा (पीएमएमसी फ्लैप) लगाकर पुनर्निर्माण किया गया।
यह सर्जरी डॉ. भूपेन्द्र कश्यप के मार्गदर्शन में की गई। सर्जरी टीम में डॉ. संदीप प्रकाश (ओरल एवं मैक्जिलोफेशियल सर्जन) विभागाध्यक्ष, डॉ. जण्डेल सिंह ठाकुर, डॉ. केतकी किनिकर, डॉ. हेमलता राजमणी, डॉ. प्रकाश खरे, डॉ. सोनल पटेल शामिल थे।
इसके अलावा निश्चेतना विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मूर्ति, मेजर ओटी के चिकित्सक, स्टाफ, वार्ड बॉय तथा रेडियोडायग्नोसिस विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह और उनकी टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
छ.ग. आयुर्विज्ञान सिम्स के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह के मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से दंत चिकित्सा विभाग लगातार नई ऊँचाइयाँ छू रहा है और समय-समय पर अपनी श्रेष्ठता साबित कर रहा है।