सिम्स में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दिलाई गई कैडैवरिक ओथ,,
शासकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) बिलासपुर में आज एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को Cadaveric Oath (शव की शपथ) दिलाई गई। यह गरिमामय कार्यक्रम शरीर रचना विज्ञान विभाग (एनाटॉमी विभाग) में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति एवं शरीर रचना विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शिक्षा जांगड़े एवं डॉ. भूपेंद्र कश्यप (नोडल अधिकारी) की प्रमुख उपस्थिति रही। साथ ही विभाग के संकाय सदस्य डॉ. अमित कुमार, डॉ. प्रेमलता येडे, डॉ. वीणा मोटवानी एवं डॉ. कमलजीत बाशन भी उपस्थित रहे।
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कैडैवरिक ओथ का संकल्प
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने यह शपथ ली कि वे—
मानव शरीर (cadaver) को अपना प्रथम गुरु मानेंगे,
शव के साथ सर्वोच्च सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करेंगे,
मृतक एवं उनके परिवार की गोपनीयता का सम्मान करेंगे,
तथा इस बलिदान से प्राप्त ज्ञान का उपयोग समाज की सेवा एवं मानव कल्याण में करेंगे।
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कार्यक्रम की पृष्ठभूमि और महत्त्व
Cadaveric Oath को चिकित्सा शिक्षा का पहला नैतिक संस्कार माना जाता है। यह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के मन में संवेदना, आभार और चिकित्सकीय जिम्मेदारी की भावना विकसित करने का अवसर होता है।
मानव शरीर का अध्ययन चिकित्सकीय दक्षता की बुनियाद है, और यही कारण है कि शव को ‘साइलेंट टीचर’ या ‘मौन गुरु’ के रूप में सम्मान दिया जाता है।
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प्रेरक संबोधन और मार्गदर्शन
अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति ने अपने उद्बोधन में कहा कि –
“एक चिकित्सक का पहला शिक्षक कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि मानव शरीर होता है। जो शरीर अपना अस्तित्व त्यागकर ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करता है, उसके प्रति सम्मान और संवेदनशीलता अनिवार्य है।”
विभागाध्यक्ष डॉ. शिक्षा जांगड़े ने कहा—
“Cadaveric Oath केवल शिक्षा की शुरुआत नहीं, बल्कि उस अदृश्य योगदान के प्रति आभार है जो विद्यार्थियों को कुशल चिकित्सक बनाने में सहायक होता है। यह शपथ उन्हें चिकित्सा व्यवसाय की गरिमा, नैतिकता और करुणा की याद दिलाती है।”
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विद्यार्थियों की सहभागिता और अनुभव
सत्र के दौरान कई विद्यार्थियों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है जब उन्हें समझ आया कि चिकित्सा शिक्षा केवल विज्ञान नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों से जुड़ी सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
विद्यार्थियों ने शव दान करने वाले महादानी परिवारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मौन श्रद्धांजलि भी दी।
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एनाटॉमी विभाग की पहल
कार्यक्रम के हिस्से के रूप में निम्न विषयों पर जानकारी दी गई—
बॉडी डोनेशन प्रक्रिया
शव संरक्षण (Preservation)
मेडिकल एथिक्स एवं गोपनीयता
सम्मानजनक व्यवहार के मानक
शव को ‘शिक्षक’ के रूप में मानने की अवधारणा
संकाय सदस्यों ने यह भी बताया कि शरीर दान केवल चिकित्सा शिक्षा के लिए नहीं, बल्कि समाज के प्रति एक अद्वितीय योगदान है।
आगे की शैक्षणिक रूपरेखा
विभाग द्वारा आगामी सत्रों में निम्न गतिविधियों की योजना प्रस्तुत की गई—
बॉडी डोनेशन जागरूकता कार्यक्रम
मेडिकल एथिक्स कार्यशाला
ह्यूमनिटेरियन वैल्यूज पर इंटरैक्टिव सत्र
मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए ओरिएंटेशन और डेमोंस्ट्रेशन क्लास
समापन और भावनात्मक अभिव्यक्ति
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों ने शव को पुष्पांजलि अर्पित कर मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।
सभी ने यह स्वीकार किया कि Cadaveric Oath विद्यार्थियों के लिए केवल शिक्षा का माध्यम नहीं, बल्कि मानवता और नैतिक दायित्व का संस्कार है।