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"पहली नजर का प्यार: जब अस्पताल में मिली वो खास मुलाकात, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी!"(पार्ट-1)

"पहली नजर का प्यार: जब अस्पताल में मिली वो खास मुलाकात, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी!"

दोस्तो मेरा नाम मयंक है, उम्र 25 साल, कद-काठी मजबूत, देखने में स्मार्ट और फिट। उस समय मैं जबलपुर में अपनी पढ़ाई कर रहा था और साथ ही एक नौकरी भी करता था। करियर बनाने में इतना व्यस्त था कि लड़कियों की तरफ ध्यान ही नहीं जाता था। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।



एक दिन मेरे दूर के रिश्तेदार अचानक बीमार पड़ गए और इलाज के लिए जगदलपुर आ गए। मैं उनका हाल-चाल लेने अस्पताल पहुँचा। वहां उनके साथ उनकी पत्नी और बेटी भी आई थीं।

और यहीं मेरी कहानी शुरू हुई।

उनकी बेटी का नाम पिया था। उम्र करीब 20 साल, इतनी खूबसूरत कि उसे देखकर समय थम-सा गया। बड़ी-बड़ी आँखें, नाजुक चेहरा और मीठी मुस्कान। मैं कुछ देर तक तो बस उसे देखता ही रह गया।

जब मैं वापस जाने लगा, तो अंकल बोले, "बेटा, रात यही रुक जाओ, जरूरत पड़ सकती है।"
मैं मना नहीं कर पाया और वहीं रुक गया।

रात को अस्पताल में ज्यादा लोग नहीं थे। आंटी गहरी नींद में थीं, अंकल कुर्सी पर बैठे थे, और मैं बेड के नीचे फर्श पर लेटने की कोशिश कर रहा था। मगर नींद कहाँ आने वाली थी? मेरे दिमाग में बस पिया थी।

कुछ ही देर में देखा कि वह भी करवटें बदल रही थी, शायद उसे भी नींद नहीं आ रही थी। मैं हिम्मत करके बोला,
"तुम्हें भी नींद नहीं आ रही?"

वह मुस्कुराई और धीरे से बोली,
"हाँ, शायद नए शहर में... या फिर किसी की वजह से।"

मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। हम दोनों हल्की-फुल्की बातें करने लगे—पढ़ाई, हॉबी, पसंद-नापसंद। वक्त कब बीत गया, पता ही नहीं चला।

रात के करीब 2 बजे होंगे, जब हल्की ठंडी हवा खिड़की से अंदर आई। पिया ने अपने कंधे पर दुपट्टा ठीक किया और मुझे देखा। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी, शायद वही जो मेरे दिल में हलचल मचा रही थी।

अचानक उसने पूछा, "क्या तुम भी महसूस कर रहे हो, जो मैं कर रही हूँ?"

मैं कुछ बोल नहीं पाया, बस हल्के से मुस्कुरा दिया। उसने धीरे से अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया। मेरी धड़कनें तेज हो गईं। मैंने भी अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया।

वो पल... जादुई था।

हम दोनों बस एक-दूसरे को देख रहे थे। शायद पहली नजर का प्यार सच में होता है।

सुबह होने तक, हम दोनों के बीच एक अंजानी सी डोर बंध चुकी थी—प्यार की डोर।

(क्या यह प्यार आगे बढ़ा? क्या किस्मत ने हमें मिलाया या फिर अलग कर दिया? यह कहानी अगले अध्याय में...)

Mukesh tiwari

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