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भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ या आजादी का अमृत महोत्सव काल में वनांचल क्षेत्रों में छाया रहा अंधेरा

भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ या आजादी का अमृत महोत्सव काल में वनांचल क्षेत्रों में छाया रहा अंधेरा--------- ""बुनियादी सुविधाओं से कोसो दूर सबसे टूटी आस""


बलौदाबाजार।  जिले के बिलाईगढ़ विधानसभा के अंतर्गत मशहूर पर्यटन का आकर्षण केंद्र बारनवापारा अभ्यारण्य 244.66वर्ग किलोमीटर की भू-भाग में फैला जंगल, यहाँ स्वतन्त्र विचरण करते वन्य-प्राणी,जीव-जंतु और इन्हीं सबके बीच बसा गांव प्रकृति आदि शक्ति को मानने वाले बाहुल्य आदिवासी क्षेत्रान्तर्गत 19 गांव दशकों से निवासरत है।अपनी धर्म-संस्कृति व प्रकृति पर अटूट विश्वास सबको जोड़ने के साथ-साथ एकता की सूत्र में बनाये रखता है।यहाँ दूर-संचार का माध्यम केवल सपना जैसा है इसी बीच बार के शिव प्रसाद ठाकुर पत्रिका संवाददाता हर रोज सुबह हर मौसम में पिथौरा आने-जाने में50किलोमीटर की दूरी अपने मोटरसाइकिल से तय कर वर्षों से पेपर चला कर इन पहुँचविहीन क्षेत्रों में सेवा देते आ रहे हैं।वहीं मात्र एक साधन गांव से शहर तक को जोड़ने में खुशबुरानी बस ट्रेवल्स झलप वर्षों से चल रहा है। किन्तु दशकों से यहाँ निवासरत लोगो को अपनी बुनियादी सुविधाओं ने आज भी गुलाम बनाये रखा है।आज पूरा देश भले ही स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव,हर घर तिरंगा झंडा योजना कार्यक्रम मना रहा है,जिसमें भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ भारत और विदेशों में मनाई जा रही है।लेकिन बारनवापारा क्षेत्र अंतर्गत बसे गांवो में आज भी बिजली,मोबाइल नेटवर्क,पक्का सड़क,पानी,स्वास्थ्य,शिक्षा आदि अपनी बुनियादी सुविधाओं को पाने तरस रहा है।यहाँ हर स्तर के नेता,अधिकारी, शासन-प्रशासन को यहाँ की वस्तु स्थिति के बारे में जानकारी है।लेकिन स्वार्थ-गत रीति-नीति ने सबके आंख में पट्टी बांध दी है। कुछेक कार्य कागजों में काम-काज होता है और कागजों में बंद हो जाता है।जनता मुँह ताकती रह जाती है।विकास के नाम पर  नेताओ,अधिकारियों ने जनता को खूब छला है।यहां निवासरत ग्रामीणों ने इस वनांचल क्षेत्र की विकास में सबसे बड़ी बाधा वन-विभाग को मानते हैं।शासन वन-विभाग में लाखों-करोड़ों की लागत से हर वित्तीय-वर्ष में तालाब गहरी-करण,नवीनीकरण, नवीन तालाब निर्माण, रोड़ निर्माण, रोड़ सुदृढ़ीकरण, मुरमिकरण,रपटा निर्माण, चेकडेम निर्माण,अखाद्य घास उन्मूलन का कार्य आदि के लिये बड़ी-लंबी चौड़ी राशि स्वीकृत करता हो जो गुणवत्ता विहीन कार्य अनियमितता की भेंट चढ़ जाता है। कार्यों से संबंधित नागरिक सूचना बोर्ड भी नहीं लगाया जाता है।आम नागरिकों को जानकारी से  वंचित हो जाते है। जमीनी हकीकत कुछ और होती है।जनता की गाढ़ी कमाई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है।वन अफसर,कर्मचारी,अधिकारी व नेता,मालामाल हो जाते हैं।जनता कंगाली हालात में विकास की रोना रोते रह जाता है।यहाँ की ग्रामीणों ने बताया की4 महिना पहले मई 2022 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आने की सुगबुगाहट से क्षेत्रों में बिजली लगाने को छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्री ब्यूशन कंपनी लिमिटेड कार्यपालन अभियंता संभाग कसडोल द्वारा गांवो में सर्वे किया गया था।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो नहीं आये और न ही आज तक बिजली आयी।भले ही बिजली विभाग द्वारा वनमंडलाधिकारी बलौदाबाजार को अपने लिखित पत्र दिनांक 25 मई 2022 में विद्युत कनेक्शन बिछाने की बात लिखी हो।लेकिन आज पर्यंत तक वन-विभाग द्वारा जमीनी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं दिखना समझ से परे हो गया है। केवल कागजों में दफन हो जाता है  पूरा वनांचल क्षेत्रों का विकास का सपना।

Mukesh tiwari

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